5 Essential Elements For बबूल के फायदे और नुकसान





बबूल की फली को इकट्ठा करके उसे छाया में सुखा लें और फिर सबको पीसकर पाउडर बना कर एक डिब्बे में रख लें। अब रोजाना समान मात्रा में मिश्री मिलाकर पानी के साथ इसका सेवन करें। इससे वीर्य से जुड़ी कई तरह की परेशानियां ठीक हो सकती हैं।

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आंखों से अगर पानी बहता हो, तो बबूल के पत्तों का काढ़ा बनाकर शहद के साथ काजल की तरह लगाने से काफी आराम मिल सकता है। बबूल के तने की छाल और बबूल के पत्तों का काढ़ा बनाकर आंखों को धोने से कई तरह की परेशानियां खत्म हो सकती हैं।

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मुखपाक, मसूड़ों से खून जाना, गले में दर्द : छाल का काढा बनाकर कुल्ले करने से लाभ होता है।

अधिक पसीना आने की परेशानी में बबूल के पत्ते और बाल हरड़ को बराबर-बराबर मिलाकर महीन पीस लें। इस चूर्ण से पूरे बदन पर मालिश करें। कुछ समय बाद नहा लें। नियमित रूप से यह प्रयोग कुछ दिन तक करने से पसीना आना बन्द हो जाता है।

गोंद: बबूल के पेड़ से गोंद भी प्राप्त होती है। बबूल का गोंद गर्मी के मौसम में एकत्रित किये जाते हैं। पेड़ पर जब चीरा लगता है तो उसमें से जो निर्यास निकालता है वही सूख कर पीला सा हो जाता है और बबूल का गोंद कहलाता है।

बबूल गोंद के इस्तेमाल से हमारे शरीर के घाव जल्दी भर जाते हैं। इसमें एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं जिससे हमारी त्वचा पर जलने-कटने एवं घाव जैसी समस्या से जल्द राहत मिलती है। बबूल गोंद के अलावा बबूल के पत्तों को भी पीसकर घाव पर लगाने से हमें बहुत फायदा मिलता है।

फल

बुजुर्गों के अनुसार घर या घर के आस पास बबूल का पेड़ नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि ये अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि कांटेदार पौधे लगाने से घर में दरिद्रता और अशांति आती है। इसके अलावा बच्चे इससे घायल भी हो सकते हैं।

गोंद टॉक्सिक होता है और स्किन के रोम छिद्रों को बंद कर सकता है. इससे स्किन खराब होने की संभावना बढ़ जाती है. 

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इस के हरे पत्तों का लेप जख्म को भरता है और गर्मी के सूजन को दूर करता है।

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